वैज्ञानिकों ने नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग करके लैब में रेटिना कोशिकाओं को फिर से विकसित किया Scientists Used Nanotechnology To Regrow Retinal Cells

वैज्ञानिकों ने नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग करके लैब में रेटिना कोशिकाओं को फिर से विकसित करने में सफलता हासिल की है. यह एक महत्वपूर्ण खोज है, क्योंकि यह मैक्यूलर डिजनरेशन जैसे रेटिना रोगों के इलाज के लिए एक नई संभावना प्रदान करती है.
मैक्युलर डिजनरेशन एक ऐसी स्थिति है जो रेटिना के केंद्र को प्रभावित करती है, जिससे दृष्टि हानि हो सकती है. यह दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है, और इसका कोई इलाज नहीं है.
वैज्ञानिकों ने नैनोफाइबर नामक एक सामग्री का उपयोग करके रेटिना कोशिकाओं को फिर से विकसित करने में सक्षम थे. नैनोफाइबर बहुत पतले और मजबूत होते हैं, और वे रेटिना कोशिकाओं के लिए एक प्राकृतिक वातावरण प्रदान करते हैं.
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में दिखाया कि नैनोफाइबर पर उगाए गए रेटिना कोशिकाएं स्वस्थ और कार्यात्मक थीं. उन्होंने अन्य माध्यमों पर उगाए गए रेटिना कोशिकाओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया.
इस अध्ययन का परिणाम रेटिना रोगों के इलाज के लिए एक नई संभावना प्रदान करता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि नैनोफाइबर का उपयोग करके रेटिना कोशिकाओं को फिर से विकसित करना मैक्यूलर डिजनरेशन और अन्य रेटिना रोगों के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है.
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह अध्ययन अभी भी प्रारंभिक चरण में है. यह देखने के लिए और शोध की आवश्यकता है कि क्या नैनोफाइबर का उपयोग करके रेटिना कोशिकाओं को फिर से विकसित करना मानव रोगियों के लिए प्रभावी होगा.
फिर भी, यह अध्ययन एक महत्वपूर्ण खोज है, और यह रेटिना रोगों के इलाज के लिए एक नई संभावना प्रदान करता है.
Credit:- https://www.sciencealert.com/